Tuesday, November 16, 2010

AB PAKISTANI KASHMIRI BHI MANG RAHEIN HAIN AZADI.

जेकेएलएफ़ का नारा
जेकेएलएफ़ भारत पाकिस्तान दोनों की सेना को कश्मीर से बाहर देखना चाहती है.
भारत प्रशासित कश्मीर में प्रदर्शनकारियों की हत्या ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के लोगों में निस्संदेह आक्रोश पैदा किया है और वे भावनात्मक रूप से जुड़े हैं.
लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हुए हालिया प्रदर्शन में कश्मीर मामले में पाकिस्तान के किरदार पर कुछ बेचैनी भी देखी जा रही है.
लोग पाकिस्तान पर चरमपंथी गुटों का साथ देने पर खुले आम सवाल उठा रहे हैं, हालांकि पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि वह अब चरमपंथी गुटों से सहयोगनहीं कर रही है.
हालांकि इस्लामाबाद पुरज़ोर तरीक़े ये कहता आ रहा है कि चरमपंथ को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से पूरी तरह से उखाड़ फेंकने के लिए वह हर संभव कोशिश कर रहा है लेकिन वहां कई ऐसी चीज़ें साफ़ तौर पर देखी जा सकती हैं जो पाकिस्तान के दावे को झुठलाती हैं.
भारत प्रशासित कश्मीर में हालिया हफ़्तों में हुए प्रदर्शन में मारे गए लोगों के समर्थन में जेहादी नेताओं ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में खुले-आम रैलियां निकालींऔर उन्होंने चरमपंथियों की नई भर्ती का आहवान किया.
आप वहां के किसी भी मुख्य शहर में जाएं आपको वहां ऐसा परिवार ढूंढने में ज़्यादा परेशानी नहीं होगी जिसके किसी युवक ने उनके आहवान पर हामी न भरी हो या अपना नाम न लिखवाया हो.

बदलाव

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में इस प्राकार के नारे भी दिखने लगे हैं जिनमें विदेशी सेना का विरोध दर्ज है.
लेकिन उसके साथ ही आप ये भी पाएंगे कि वहां एक अलग प्रकार का गुट भी लोकप्रियता हासिल कर रहा जो अपनी तरह का विरोध प्रदर्शन कर रहा है.
आठ महीने पहले जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ़्रंट ने "कश्मीर छोड़ो" प्रदर्शन का आहवान किया था. ये गुट भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सेना को कश्मीर से बाहर देखना चाहता है.
इसका पाकिस्तान पर ये इल्ज़ाम है कि पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को धार्मिक रंग दे दिया हालांकि यह एक मानवाधिकार का मुद्दा है.
इसका ये भी आरोप है कि पाकिस्तान ऐसा इसलिए भी कर रहा है ताकि वह भारत को लड़ाई के मैदान में रोके रख सके.
सैंकड़ों लोगों ने इनके हालिया प्रदर्शन में हिस्सा लिया है.
भारत का 1947 में बंटवारा हो गया और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र एक नए देश पाकिस्तान के रूप में सामने आया. लेकिन बंटवारे की जल्दी में कश्मीर की क़िस्मत का पूरी तरह फ़ैसला न हो सका जहां कि मुसलमानों की तीन चौथाई से भी ज़्यादा आबादी है.
तब से ले कर हालिया प्रदर्शनों तक नियंत्रण सीमा के दोनों ओर के लोग पाकिस्तान की नीतियों पर स्वाल उठाने लगे हैं कि आख़िर इतने वर्षों में इनसे वास्तव में क्या लाभ हुए हैं.

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